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History 11th Chapter - 2 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

 

Chapter - 2 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य


Chapter - 2 


तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य



महाद्वीप क्या है ?

महाद्वीप समुन्द्र के बीच ऐसे भूखंड हैं  जिसमें कई सारे देश स्थित होते हैं जैसे -

1. उत्तरी अमेरिका 

2. दक्षिणी अमेरिका 

3. यूरोप 

4. एशिया

5. अफ्रीका

6. ऑस्ट्रेलिया

7. अन्टार्क्टिका  


रोमन साम्राज्य

रोमन साम्राज्य दूर - दूर तक फैला हुआ था यह साम्राज्य तीन महाद्वीपों में फैला हुआ था 

1. यूरोप

2. पश्चिमी एशिया

3. उत्तरी अफ्रीका


रोमन इतिहास की जानकारी के प्रमुख स्रोत 

इतिहासकारों के पास स्रोत सामग्री का विशाल भंडार था  इसे 3 वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

1. पाठ्य सामग्री 

  • उस समय के व्यक्तियों द्वारा लिखा गया उस काल का इतिहास इसे वर्ष वृतांत ( Annals ) कहा जाता था इसे प्रतिवर्ष लिखा जाता था इसके अलावा पत्र , प्रवचन , व्याख्यान , कानून आदि

2. दस्तावेज 

  • पैपाइरस पेड़ के पत्तों पर लिखी गई पांडुलिपियां प्राप्त हुई है पैपाइरस एक सरकंडा जैसा पौधा था जो मिस्र में नील नदी के पास उगा करता था इससे लेखन सामग्री तैयार की जाती थी हजारों की संख्या में संविदापत्र, लेख, संवादपत्र, सरकारी दस्तावेज आज भी पैपाइरस पत्र पर लिखे हुए पाए गए हैं

3. अभिलेख

  • अभिलेख पत्थर की शिला ऊपर खोदे जाते थे इसलिए वह नष्ट नहीं हुए और बहुत बड़ी मात्रा में यूनानी और लातिनी भाषा में पाए गए हैं

4. भौतिक अवशेष 

  • भौतिक अवशेषों में उन वस्तुओं को शामिल किया जाता है जो मुख्य रूप से पुरातत्व को खुदाई और सर्वेक्षण के दौरान मिलती थी जैसे – इमारतें , स्मारक, मिट्टी के बर्तन , सिक्के , मूर्ती  और अन्य प्रकार की संरचना आदि


रोम साम्राज्य और ईरान साम्राज्य 

1. ईसा मसीह के जन्म से लेकर सातवीं शताब्दी तक की अवधि में अधिकांश यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व तक के विशाल क्षेत्र में दो शक्तिशाली साम्राज्य का शासन था यह दो साम्राज्य रोम और ईरान थे

2. रोम साम्राज्य और ईरान साम्राज्य के बीच आपसी प्रतिद्वंद्विता थी जिस कारण यह आपस में लड़ते रहते थे यह साम्राज्य एक दूसरे के बिल्कुल पास थे उन्हें फरात नदी अलग करती थी


रोम साम्राज्य का आरंभिक काल 

रोमन साम्राज्य को दो चरण में बांटकर देख सकते है 

1. पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य :- 

  • तीसरी शताब्दी तक के मुख्य भाग तक की सम्पूर्ण अवधि को पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य कहा जाता है 

2. रवर्ती रोमन साम्राज्य :- 

  • तीसरी शताब्दी के बाद की अवधि को परवर्ती रोमन साम्राज्य कहा जाता है  


आरंभिक काल /पूर्ववर्ती चरण 

प्रारंभिक प्रशासन 

i. रोमन साम्राज्य में गणराज्य ( रिपब्लिक )एक ऐसी शासन व्यवस्था थी जिसमें वास्तविक सत्ता सैनेट के हाथ में थी सैनेट में धनवान परिवारों के एक छोटे से समूह का बोलबाला रहता था जो अभिजात कहलाता था 

ii. गणतंत्र अभिजात वर्ग की सरकार का शासन सैनेट नामक संस्था के माध्यम से चलाया था गणतंत्र 509 ईसा पूर्व से 27 ईसा पूर्व तक चला 

1. सम्राट

सत्ता को चलने वाला वास्तविक कार्यकर्ता जिसके उतराधिकारी उसका अपना पुत्र या गोद लिया हुआ पुत्र भी हो सकता था

प्रमुख सम्राट थे 

(i) जुलियस सजिर

(ii) ऑगस्टस

(iii) टिबेरियस

(iv) त्राजान

(v) नीरो

1. 27 ईसा पूर्व में जुलियस सीजर के दत्तक पुत्र तथा उत्तराधिकारी ऑक्टेवियन ने गणतंत्र व्यवस्था का  तख्तापलट कर दिया और सत्ता अपने हाथ में ले ली और ऑगस्टस नाम से रोम का सम्राट बन गया

2 . पहले सम्राट ऑगस्टस ने 27 ईसा पूर्व में जो राज्य स्थापित किया था उसे प्रिंसिपेट नाम से जाना जाता था 

3. ऑगस्टस एकछत्र शासन था और सत्ता का वास्तविक स्रोत था लेकिन फिर भी इस कल्पना को जीवित रखा गया कि वह केवल एक प्रमुख नागरिक था निरंकुश शासक नहीं था ऐसा सैनेट को सम्मान प्रदान करने के लिए किया गया था 

सैनेट

1. सैनेट ऐसी संस्था थी जिसने उन दिनों में जब रोम एक रिपब्लिक यानी गणतंत्र था , सत्ता पर अपना नियंत्रण रखा था रोम में सैनेट संस्था का अस्तित्व कई शताब्दियों तक रहा 

2. सेनेट की सदस्यता जीवन भर चलती थी उसके लिए जन्म की अपेक्षा धन और पद प्रतिष्ठा को ज्यादा महत्व दिया जाता था

3. सैनेट एक ऐसी संस्था थी जिसमें कुलीन और अभिजात वर्ग यानी रोम के धनी परिवारों का प्रतिनिधित्व था लेकिन आगे चलकर इसमें इतावली मूल के जमीदारों को भी शामिल किया गया 

4. रोम के इतिहास की ज्यादा पुस्तकें यूनानी और लातिनी में इन्हीं ने लिखी थी सम्राट की परख इस बात से की जाती थी कि वह सैनेट के  प्रति किस तरह का व्यवहार रखते हैं 

5. उन सम्राट को सबसे बुरा शासक माना जाता था जो सैनेट के सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार रखते थे या उनके साथ हिंसा करते थे 

6. कुछ सैनेटर गणतंत्र युग में लौटने के लिए तरसते थे लेकिन अधिकतर सैनेटर यह जान चुके थे कि अब ऐसा हो पाना असंभव था

सेना 

1. सम्राट और सेनेट के बाद साम्राज्य में एक मुख्य संस्था सेना थी रोम में एक व्यवसायिक सेना थी जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था और न्यूनतम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी

2. एक वेतनभोगी सेना का होना रोमन साम्राज्य के अपनी खास विशेषता थी सेना में चौथी शताब्दी तक 6,00,000 सैनिक थे और उसके पास निश्चित रूप से सम्राटों का भाग्य निर्धारित करने की शक्ति थी

3. सैनिक बेहतर सेवा और वेतन के लिए लगातार आंदोलन करते रहते थे यदि सैनिक अपने सेनापतियों और यहां तक कि सम्राट द्वारा निराश महसूस करते थे तो यह आंदोलन सैनिक विद्रोह को रूप ले लेता था 

4. सैनेट सेना से घृणा करती थी और उससे डरती थी क्योंकि वह हिंसा का स्रोत थी जब सरकार को अपने बढ़ते हुए सैन्य खर्चो को पूरा करने के लिए भारी कर ( tax )  लगाने पड़े थे तब तनावपूर्ण परिस्थिति सामने आई थी 

5. अगर सेना विभाजित हो जाए तो इसका परिणाम गृहयुद्ध के रूप में सामने आता था  


👉इस प्रकार यह कह सकते हैं कि सम्राट , अभिजात वर्ग और सेना  साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास के तीन प्रमुख खिलाड़ी थे 



रोम का विस्तार 

1. पहली शताब्दी में 

1. ऑगस्टस का शासन काल शांति के लिए याद किया जाता है

2. ऑगस्टस के बाद उसके पुत्र टिबेरियस ने शासन चलाया 

3. टिबेरियस को ऑगस्टस ने गोद लिया था

4. इस कल की एक विशेष उपलब्धि यह रही कि रोमन साम्राज्य के प्रत्यक्ष शासन का काफी विस्तार हुआ। 

5. इसके लिए अनेक आश्रित राज्यों को रोमन साम्राज्य में मिला लिया गया। आश्रित राज्य  ऐसे स्थानीय राज्य थे जो रोम के 'आश्रित' थे। रोम को भरोसा था कि ये शासक अपनी सेनाओं का प्रयोग रोम के समर्थन में करेंगे और बदले में रोम ने उनका अलग अस्तित्व स्वीकार कर लिया।

2. दूसरी शताब्दी में 

1. दूसरी शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों तक जो राज्य फ़रात नदी के पश्चिम में (रोम राज्य क्षेत्र की ओर) पड़ते थे उन्हें भी रोम द्वारा हड़प लिया गया। ये राज्य बहुत समृद्ध थे उदाहरण - हेरॉड के राज्य से प्रतिवर्ष 54 लाख दीनारियस (125,000 कि.ग्रा. सोने) के बराबर आमदनी होती थी। 

2. दीनारियस रोम का एक चाँदी का सिक्का होता था जिसमें लगभग 4.5 ग्राम विशुद्ध चाँदी होती थी।

3. इटली के सिवाय, साम्राज्य के सभी क्षेत्र प्रांतों में बँटे हुए थे और उनसे कर वसूला जाता था। 

4. दूसरी शताब्दी में जब रोम अपने चरमोत्कर्ष पर था, रोमन साम्राज्य स्कॉटलैंड से आर्मेनिया की सीमाओं तक और सहारा से फ़रात और कभी-कभी उससे भी आगे तक फैला हुआ था। 

5. संपूर्ण साम्राज्य में दूर-दूर तक अनेक नगर स्थापित किए गए थे जिनके माध्यम से समस्त साम्राज्य पर नियंत्रण रखा जाता था। 

6. भूमध्यसागर के तटों पर स्थापित बड़े शहरी केंद्र (कार्थेज, सिकंदरिया तथा एंटिऑक) साम्राज्यिक प्रणाली के मूल आधार थे। 

7. इन्हीं शहरों के माध्यम से 'सरकार' प्रांतीय ग्रामीण क्षेत्रों पर कर लगाने में सफल हो पाती थी, जिनसे साम्राज्य को अधिकांश धन-संपदा प्राप्त होती थी।

8. इसका अर्थ यह हुआ कि स्थानीय उच्च वर्ग रोमन साम्राज्य को कर वसूली और अपने क्षेत्रों के प्रशासन के कार्य में सक्रिय सहायता देते थे। 

3. दूसरी और तीसरी शताब्दियों में बदलाव 

1. दूसरी और तीसरी शताब्दियों के दौरान, अधिकतर प्रशासक तथा सैनिक अफसर इन्हीं उच्च प्रांतीय वर्गों में से होते थे। 

2. इस प्रकार उनका एक नया संभ्रांत वर्ग बन गया जो कि सैनेट के सदस्यों की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली था क्योंकि उसे सम्राटों का समर्थन प्राप्त था।

3. जैसे-जैसे यह नया समूह उभर कर सामने आया. सम्राट गैलीनस (253-68) ने सैनेटरों को सैनिक कमान से हटा कर इस नए वर्ग के उदय को सुदृढ़ बना दिया।

4. सम्राट गैलीनस ने सैनेटरों को सेना में सेवा करने अथवा इस तक पहुँच रखने पर पाबंदी गैलीनस नहीं चाहता था कि साम्राज्य का नियंत्रण किसी भी प्रकार से सैनेटरों के हाँथ में न जाए


तीसरी शताब्दी का संकट 

1. पहली और दूसरी शताब्दियाँ  शांति, समृद्धि तथा आर्थिक विस्तार की प्रतीक थीं, लेकिन तीसरी शताब्दी में  आंतरिक तनाव के संकेत मिलते हैं। 

2. 225 ईस्वी में , ईरान के आक्रामक वंश ( 'ससानी' वंश )  द्वारा बार- बार रोमन साम्राज्य पर आक्रमण किया जा रहा था केवल 15 वर्षों के भीतर यह तेज़ी से फ़रात की दिशा में फैल गया।

3. तीन भाषाओं में खुदे एक शिलालेख में, ईरान के शासक शापुर प्रथम ने दावा किया था कि उसने 60,000 रोमन सेना का अंत कर दिया है

4. रोम साम्राज्य की पूर्वी राजधानी एंटिऑक पर कब्ज़ा भी कर लिया ।

5. कई जर्मन मूल की जनजातियों,   ( एलमन्नाइ, . फ्रैंक ,गोथ ) ने  राइन तथा डैन्यूब नदी की सीमाओं की ओर बढ़ना शुरू कर दिया और रोमन साम्राज्य पर आक्रमण किया तथा कई क्षेत्रों पर कब्ज़ा किया 

6. तीसरी शताब्दी में थोड़े-थोड़े अंतर से अनेक सम्राट (47 वर्षों में 25 सम्राट ) सत्ता में आए इससे यह पता लगता है कि इस अवधि में साम्राज्य को बेहद तनाव की स्थिति से गुज़रना पड़ा


लिंग , साक्षरता और संस्कृति 

1. परिवार और विवाह 

1. उन दिनों रोम में  'एकल' परिवार (Nuclear family) का चलन था। दासों को भी परिवार में सम्मिलित किया जाता था 

2. (प्रथम शती ई. पू.) तक विवाह का रूप ऐसा था कि पत्नी अपने पति को अपनी संपत्ति हस्तांतरित नहीं किया करती थी किंतु अपने पैतृक परिवार में वह अपने पूरे अधिकार बनाए रखती थी।

3. पुरुष के लिए शादी की उम्र 28-29 या 30-32 थी वाही महिलाओ की उम्र 16-18 या 22-23 थी 

4. महिला का दहेज वैवाहिक अवधि के दौरान उसके पति के पास चला जाता था

2. महिलाओ की स्थिति

1. महिला अपने पिता की मुख्य उत्तराधिकारी बनी रहती थी और अपने पिता की मृत्यु होने पर उसकी संपत्ति की स्वतंत्र मालिक बन जाती थी।

2. हालाँकि महिलाओं पर उनके पति अक्सर हावी रहते थे और पुरुषो द्वारा नियमित रूप से महिलाओं पिटाई की जाती थी 

3. फिर भी रोम की महिलाओं को संपत्ति के स्वामित्व व संचालन में व्यापक कानूनी अधिकार प्राप्त थे।

4. तलाक देना आसन था

3. साक्षरता 

1. रोम में उस समय काम चालू साक्षरता होती थी 

2. साक्षरता कुछ वर्गों के लोगों में अपेक्षाकृत अधिक व्यापक थी, जैसे कि सैनिकों, फौजी अफ़सरों और सम्पदा प्रबंधकों में।

4. संस्कृति 

1. रोम सांस्कृतिक विविधता समाज में मौजूद थी 

2. रोम धार्मिक सम्प्रदायों तथा स्थानीय देवी-देवताओं की भरपूर विविधता थी 

3. बोलचाल की अनेक भाषाएँ थी 

4. अलग अलग वेशभूषा की विविध शैलियाँ थी 

5. तरह-तरह के भोजन हुआ करते थे 


आर्थिक विस्तार 

1. व्यापर 

1. बंदरगाहों, खदानों, ईंट-भट्ठों ,खानों, जैतून के तेल की फैक्टरियों आदि की संख्या काफी अधिक थी, जिनसे उसका आर्थिक आधारभूत ढाँचा काफी मजबूत था। 

2. स्पेन में जैतून का तेल निकालने का उद्यम 140-160 ईस्वी के वर्षों में अपने चरमोत्कर्ष पर था। 

3. स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल मुख्य रूप से ऐसे कंटेनरों में ले जाया जाता था जिन्हें 'ड्रेसल 20' कहते थे।

4. स्पेन के तेल उत्पादकों और इतावली तेल उत्पादकों के बीच प्रतिद्वंदता थी

2. बैंकिंग व्यवस्था 

  • रोमन साम्राज्य में सुगठित वाणिज्यिक बैंकिंग व्यवस्था थी
  •  धन का व्यापक रूप से प्रयोग होता था   

3. प्रमुख आर्थिक क्षेत्र

साम्राज्य के अंतर्गत ऐसे बहुत से क्षेत्र आते थे जो अपनी असाधारण उर्वरता के कारण बहुत प्रसिद्ध थे; 

1. इटली में कैम्पैनिया, सिसिली :-

2. मिस्र में फैय्यूम, गैलिली, बाइजैकियम ( ट्यूनीसिया)

3. दक्षिणी गॉल (जिसे गैलिया नार्बोनेंसिस कहते थे) तथा बाएटिका (दक्षिणी स्पेन)।

👉कैम्पैनिया से सबसे बढ़िया किस्म की अंगूरी शराब आती थी 

👉सिसिली और बाइजैकियम - रोम को भारी मात्रा में गेहूँ का निर्यात करते थे। 

👉गैलिली में गहन खेती की जाती थी

👉स्पेन का जैतून का तेल, स्पेन के दक्षिण में गुआडलक्विविर नदी के किनारों के साथ-साथ बसी जमींदारियों से आता था

4. औद्योगिक क्षेत्र

1. स्पेन की सोने और चाँदी की खानों में जल-शक्ति से खुदाई की जाती थी

2. पहली तथा दूसरी शताब्दियों में बड़े भारी औद्योगिक पैमाने पर इन खानों से खनिज निकाले जाते थे।



रोमन साम्राज्य में श्रमिकों पर  नियंत्रण 

दास प्रथा

1. रोमन साम्राज्य में  दास प्रथा बड़े पैमाने पर थी 

2. इटली में कुल जनसंख्या 75 लाख थी जिसमे से 30 लाख तो केवल दास थे

3. दासों को पूंजी निवेश पूंजी निवेश के नजरिये से देखा जाता था

4. उच्च वर्ग के लोग दासों के प्रति क्रूरता पूर्ण व्यवहार करते थे  लेकिन आम लोग दासों से सहानुभूति रखते थे

5. दासों की कमी होने पर दास प्रजनन को प्रोत्साहन दिया जाने लगा

6. दासों के काम का निरीक्षण किया जाने लगा था ताकि कोई कामचोरी न कर सकें   


रोमन साम्राज्य में सामाजिक श्रेणियां 

प्रारंभिक राज्य

परवर्ती काल

सेनेटर

सम्राट

अश्वारोही

अभिजात वर्ग

सम्मानित वर्ग

माध्यम वर्ग

निम्नतर वर्ग

निम्नतर वर्ग

दास

दास



परवर्ती पुराकाल

1. रोमन साम्राज्य की अंतिम शताब्दियों में अनेक सांस्कृतिक परिवर्तन देखने को मिलते है 

2. 'परवर्ती पुराकाल' शब्द का प्रयोग रोम साम्राज्य के उद्भव, विकास और पतन के इतिहास की उस अंतिम दिलचस्प अवधि का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो मोट तौर पर चौथी से सातवीं शताब्दी तक फैली हुई थी। 

3. चौथी शताब्दी स्वयं भी अनेक सांस्कृतिक और आर्थिक हलचलों से परिपूर्ण थी। 

4. सांस्कृतिक स्तर पर इस अवधि में लोगों के धार्मिक जीवन में अनेक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए, जिनमें से एक था सम्राट कॉन्स्टेनटाइन द्वारा ईसाई धर्म को राजधर्म बना लेने का निर्णय और दूसरा था सातवीं शताब्दी में इस्लाम का उदय। 

सम्राट डायोक्लीशियन 

1. कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन सम्राट डायोक्लीशियन (284-305) के समय से प्रारंभ हुए।

2. सम्राट डायोक्लीशियन ने देखा कि साम्राज्य का विस्तार बहुत ज्यादा हो चुका है और उसके अनेक प्रदेशों का सामरिक या आर्थिक दृष्टि से कोई महत्त्व नहीं है 

3. इसलिए उसने उन हिस्सों को छोड़कर साम्राज्य को थोड़ा छोटा बना लिया। 

4. उसने साम्राज्य की सीमाओं पर किले बनवाए, प्रांतों का पुनर्गठन किया और असैनिक कार्यों को सैनिक कार्यों से अलग कर दिया

5. साथ ही उसने सेनापतियों (Duces) को अधिक स्वायत्तता प्रदान कर दी, जिससे ये सैन्य अधिकारी अधिक शक्तिशाली समूह के रूप में उभर आए

सम्राट कॉन्स्टेनटाइ

1. सम्राट कॉन्स्टेनटाइन ने मौद्रिक क्षेत्र में कुछ नए परिवर्तन किए । 

2. उसने सॉलिडस (Solidus) नाम का एक नया सिक्का चलाया जो 4.5 ग्राम शुद्ध सोने का बना हुआ था।

3. यह सिक्का रोम साम्राज्य समाप्त होने के बाद भी चलता रहा। 

4. कॉन्स्टेनटाइन का एक अन्य नवाचार था एक दूसरी राजधानी कुस्तुनतुनिया (Constantinople) का निर्माण (जहाँ तुर्की में आजकल इस्तांबुल नगर बसा हुआ है पहले इसे बाइज़ेंटाइन कहा जाता था)। 

5. यह नयी राजधानी तीन ओर समुद्र से घिरी हुई थी। चूंकि नयी राजधानी के लिए नयी सैनेट की जरूरत थी इसलिए चौथी शताब्दी में शासक वर्गों का बड़ी तेज़ी से विस्तार हुआ। 

6. मौद्रिक स्थायित्व और बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण आर्थिक विकास में तेजी आई। 

7. औद्योगिक प्रतिष्ठानों सहित ग्रामीण उद्योग-धंधों में व्यापार के विकास में पर्याप्त मात्रा में पूँजी लगाई गई।

8. इनमें तेल की मीलें और शीशे के कारखाने, पेंच की प्रेसें तथा तरह-तरह की पानी की मिलें जैसी नयी प्रौद्योगिकियाँ महत्वपूर्ण हैं। 

9. धन का अच्छा खासा निवेश पूर्व के देशों के साथ लम्बी दूरी के व्यापार में किया गया जिससे ऐसे व्यापार का पुनरुस्थान हुआ

शहरी विकास 

1. रोम साम्राज्य में इस समय शहरी संपदा एवं समृद्धि में अत्यधिक वृद्धि हुई, जिससे स्थापत्य कला के नए-नए रूप विकसित हुए और भोग-विलास के साधनों में भरपूर तेजी आई। 

2. शासन करने वाले कुलीन पहले से अधिक शक्तिशाली और अमीर हो गए। 

3. तत्कालीन समाज अपेक्षाकृत अधिक खुशहाल था, जहाँ मुद्रा का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता था और ग्रामीण संपदाएँ भारी मात्रा में सोने के रूप में लाभ कमाती थीं।

4. छठी शताब्दी के दौरान जस्टीनियन के समय अकेला मिस्र प्रतिवर्ष 25 लाख सॉलिडस करों के रूप में  अदा करता था 

धार्म और संस्कृति

1. धार्मिक संस्कृति बहुदेववादी थी इनकी अनेक पंथों एवं उपासना पद्धतियों में रूचि थी जूपिटर, जूनो, मिनर्वा और मॉर्स जैसे देवताओ की पूजा करते थे 

2. साम्राज्य भर में हज़ारों मंदिर, मठ और देवालय बनवाये गए थे

3. रोमन साम्राज्य का परवर्ती पुराकाल में  यहूदी धर्म सबसे बड़ा था जिसमें अनेक विविधताएँ थी 

4. चौथी या पाँचवीं शताब्दियों में साम्राज्य का ईसाईकरण का विकास शुरू हुआ 




रोम साम्राज्य का पतन 

1. रोम साम्राज्य का विस्तार असीमित वृद्धि था  इसने एक विशालकाय साम्राज्य की स्थापना की  लेकिन यह स्थिरता नहीं बना पाया। राजनीतिक और आर्थिक संकटों में उसकी क्षमताएँ घटने लगी और यह बिखर गया। 

2. रोम साम्राज्य में हुए आंतरिक संघर्ष और विभाजन ने इसकी एकता और अखंडता को तोडा साथ ही गृह युद्ध ने  सेना और समाज में असमंजस्यता को बढाया। 

3. रोम साम्राज्य को  हर दिशा से बाहरी हमलों का सामना करना पड़ा जिसे वो रोक नहीं पाए , जर्मन मूल के समूहों (गोथ, बैंडल, लोंबार्ड आदि), ससानी शासकों,अरबों  के हमले। इन हमलों ने साम्राज्य को स्थिर नहीं होने दिया और पतन हो गया।

4. रोम साम्राज्य अपनी सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन भी हुए, जैसे कि धार्मिक परिवर्तन, शिक्षा और सांस्कृतिक बदलाव। ये परिवर्तनो  रोमन साम्राज्य की विरासत को समाप्त केर दिया। 



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